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शनिवार, 1 नवंबर 2025

भारतीय अंक शास्त्र में तथा सम्पूर्ण विश्व की ज्योतिष विधाओं में अंक 15 का महत्व

 

भारतीय अंक शास्त्र में 15 का महत्व

आध्यात्मिक महत्व:

·       पूर्णिमा की तिथि - चंद्र पक्ष की 15वीं तिथि, पूर्णता का प्रतीक

·       पंचदेवता × 3 काल - 5 देवताओं (ब्रह्मा, विष्णु, शिव, गणेश, सूर्य) का त्रिकालीन (भूत-वर्तमान-भविष्य) संयोग

·       15 नित्यास - श्री विद्या परंपरा में देवी के 15 स्वरूप

ज्योतिषीय महत्व:

·       चंद्र कला - 15 दिन में चंद्रमा पूर्ण होता है (शुक्ल पक्ष)

·       15 = 1+5 = 6 - शुक्र ग्रह का अंक, सौंदर्य और समृद्धि

·       तिथि गणना - प्रत्येक पक्ष में 15 तिथियाँ

गणितीय विशेषता:

·       त्रिभुज संख्या - 1+2+3+4+5 = 15

·       3×5 = 15 - त्रिदेव × पंचतत्व

·       जादुई वर्ग  - 3×3 ग्रिड का स्थिर योग

तांत्रिक दृष्टि:

·       संतुलन का अंक - विषम परंतु संपूर्ण

·       चंद्र ऊर्जा - शीतलता, शांति और मानसिक स्थिरता

·       15 अक्षर मंत्र - कई शक्तिशाली मंत्रों में 15 अक्षर

व्यावहारिक उपयोग:

समृद्धि, मानसिक शांति और चंद्र दोष निवारण के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। पंद्रह यंत्र क्या है? यह एक 3×3 का संख्यात्मक यंत्र है जहाँ 1 से 9 तक की संख्याएँ इस प्रकार व्यवस्थित होती हैं कि हर पंक्ति, स्तंभ और विकर्ण का योग 15 होता है।

 

4

 

9

2

 

3

 

5

7

 

8

 

 

1

 

 

6

 

महत्वपूर्ण विशेषताएँ:

·       केंद्र में 5 - संतुलन और स्थिरता का प्रतीक

·       सभी दिशाओं का योग 15 - पूर्णता का प्रतीक

·       9 संख्याओं का समन्वय - नवग्रहों से संबंध

तांत्रिक प्रयोग:

·       वास्तु दोष निवारण.

·       ग्रह शांति.

·       सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह.

·       मानसिक संतुलन और समृद्धि.

प्रयोग विधि:

·       तांबे की प्लेट पर लाल स्याही से लिखें.

·       शुक्रवार को स्थापित करें.

·       घर/दुकान के मुख्य स्थान पर रखें.

पंद्रह यंत्र का तांत्रिक दृष्टिकोण (विस्तृत)

1. चंद्र तत्व का प्रतीक

  • पूर्णिमा की ऊर्जा - 15 पूर्णता का प्रतीक, जैसे पूर्णिमा पूर्ण चंद्रमा
  • सोम तत्व - मन, भावना और अमृत तत्व का नियंत्रण
  • मातृ शक्ति - चंद्र को माता का प्रतीक माना जाता है, पोषण और करुणा

2. पंचदश तिथि का रहस्य

  • कला पूर्णता - चंद्रमा की 16 कलाओं में से 15 प्रकट होती हैं
  • 16वीं कला गुप्त - अमृत कला जो साधना से प्राप्त होती है
  • तिथि देवता - हर तिथि का अपना देवता, 15वीं सर्वोच्च

3. पंचदश अक्षर मंत्र

कई महाविद्याओं के मंत्र 15 अक्षरों के होते हैं:

  • काली पंचदशाक्षरी - "ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौः ॐ..."
  • त्रिपुरसुंदरी मंत्र - 15 बीजाक्षरों का संयोजन
  • पूर्णता की साधना - 15 अक्षर से पूर्ण सिद्धि

4. यंत्र संरचना का तात्विक अर्थ

4  9  2     (योग=15)

3  5  7     (योग=15)

8  1  6     (योग=15)

 संख्याओं का गूढ़ अर्थ:

केंद्र में 5:

- पंचतत्व का केंद्र - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश

- संतुलन बिंदु - सभी दिशाओं का समन्वय

- आत्म स्थान - साधक का आत्म बिंदु

 

विषम संख्याएँ (1,3,5,7,9):

- शिव तत्व - पुरुष ऊर्जा, क्रियाशील शक्ति

- तेज तत्व - आग्नेय ऊर्जा

सम संख्याएँ (2,4,6,8):

- शक्ति तत्व - स्त्री ऊर्जा, ग्रहणशील शक्ति

- सोम तत्व - जल और चंद्र ऊर्जा

 5. नवग्रह संबंध

प्रत्येक संख्या एक ग्रह से जुड़ी:

- 1 (सूर्य) - आत्मा

- 2 (चंद्र) - मन

- 3 (गुरु) - ज्ञान

- 4 (राहु) - माया

- 5 (बुध) - बुद्धि

- 6 (शुक्र) - सुख

- 7 (केतु) - मोक्ष

- 8 (शनि) - कर्म

- 9 (मंगल) - शक्ति

योग 15 = 1+5 = 6 (शुक्र) - समृद्धि और सौंदर्य

 

 6. दिशाओं का तांत्रिक महत्व

ऊर्ध्व पंक्ति (4-9-2): आकाश तत्व - उच्च चेतना

मध्य पंक्ति (3-5-7): मनुष्य तत्व - जीवन केंद्र

निम्न पंक्ति (8-1-6): पृथ्वी तत्व - भौतिक आधार

विकर्ण:

- 4-5-6 - सृष्टि क्रम

- 2-5-8 - संहार क्रम

- केंद्र 5 सभी का नियंत्रक

 

 7. 15 नित्य देवियाँ (श्री विद्या)

तंत्र में 15 नित्या देवियाँ हैं:

1. काली

2. तारा

3. षोडशी (त्रिपुरसुंदरी)

4. भुवनेश्वरी

5. भैरवी

6. छिन्नमस्ता

7. धूमावती

8. बगलामुखी

9. मातंगी

10. कमला

11-15. अन्य नित्या शक्तियाँ

प्रत्येक देवी एक तिथि की स्वामिनी - शुक्ल पक्ष की 15 तिथियों में

 

 8. साधना विधि (तांत्रिक प्रयोग)

 यंत्र निर्माण:

- धातु: तांबा (चंद्र धातु) या चांदी

- दिन: पूर्णिमा या शुक्रवार

- नक्षत्र: रोहिणी (चंद्र की प्रिय नक्षत्र)

- स्याही: लाल सिंदूर + केसर + दूध

 स्थापना मंत्र:

ॐ सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥

पूजा विधि:

सोमवार या शुक्रवार को स्थापना

सफेद वस्त्र धारण करें

दूध, दही, घी, शहद, शक्कर से अभिषेक

सफेद फूल (कमल, गुलाब)

चंद्र मंत्र जाप: "ॐ सों सोमाय नमः" (108 बार)

 

9. तांत्रिक लाभ

मानसिक स्तर:

 

चंचल मन की शांति - चंद्र नियंत्रण

भावनात्मक संतुलन

अनिद्रा का निवारण

स्मरण शक्ति वृद्धि

 

आध्यात्मिक स्तर:

कुंडलिनी जागरण में सहायक

सोमचक्र (आज्ञा चक्र) की सिद्धि

अमृत कला की प्राप्ति

मातृ शक्ति का आशीर्वाद

 

भौतिक स्तर:

धन समृद्धि - शुक्र तत्व से

स्त्री सुख - शुक्र का अंक 6

वास्तु दोष निवारण

नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा

 

10. गुप्त तांत्रिक रहस्य

त्रिकोण का रहस्य:

यंत्र में छिपे त्रिकोण:

 

ऊर्ध्व त्रिकोण (शिव) - 2,5,8

अधोमुख त्रिकोण (शक्ति) - 4,5,6

केंद्र बिंदु - शिव-शक्ति का मिलन

 

15 का बीज मंत्र:

"ह्रीं" - माया बीज, प्रत्येक अक्षर में 15 की ऊर्जा (चक्र संबंध:)

15 × 16 = 240 (सहस्रार की उप-नाड़ियाँ)

प्रत्येक चक्र में 15 ऊर्जा बिंदु

11. समय और काल

तिथि गणना: 15 दिन = एक पक्ष

मुहूर्त: प्रतिदिन 30 मुहूर्त में से 15 शुभ

घड़ी: 15 घड़ी = विशेष साधना समय

12. सावधानियाँ

गलत स्थापना से हानि - अनुभवी गुरु से सीखें

नियमित पूजा आवश्यक - अन्यथा विपरीत प्रभाव

श्रद्धा और विश्वास - बिना भक्ति के केवल गणित है

 

ज्योतिष शास्त्र में पंद्रह (15) का दृष्टिकोण

1. तिथि विज्ञान

§  पूर्णिमा - सर्वोच्च तिथि:

§  शुक्ल पक्ष की 15वीं तिथि = पूर्णिमा

§  कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि = अमावस्या

§  दोनों संधि काल - अत्यधिक शक्तिशाली समय

तिथि बल:

प्रत्येक पक्ष में 15 तिथियाँ - चंद्र कलाओं का विकास

पूर्णिमा पर चंद्रमा पूर्ण बली (15/15 कलाएँ प्रकट)

अमावस्या पर चंद्रमा शून्य बली (15 कलाएँ छिपी)

 

2. चंद्रमा का अंक शास्त्र

चंद्र अंक = 2

15 = 1+5 = 6 (शुक्र का अंक)

2 × 6 = 12 (राशियाँ)

15 का चंद्र संबंध - पूर्णिमा से

मूलांक और भाग्यांक:

जिन व्यक्तियों का:

जन्म तिथि 15, 24 (2+4=6) - शुक्र प्रभावित

जन्म मास 6 (जून) - शुक्र प्रबल

चंद्र + शुक्र योग - कला, सौंदर्य, समृद्धि

3. नक्षत्र व्यवस्था

15 घटिका:

एक नक्षत्र = 13°20'

27 नक्षत्र × 13.33° = 360°

15 घटिका = एक विशेष मुहूर्त खंड

आधे नक्षत्र:

पूर्ण नक्षत्र चक्र = 30 दिन (चंद्र परिक्रमा)

15 दिन = आधा चक्र = पक्ष पूर्णता

अभिजीत नक्षत्र:

28वाँ गुप्त नक्षत्र

मध्याह्न के 15 मिनट - सर्वोत्तम मुहूर्त

4. ग्रह योग और दशा

चंद्र दशा:

चंद्र महादशा = 10 वर्ष

चंद्र अंतर्दशा विभिन्न ग्रहों में

15 = 10+5 (चंद्र 10 + बुध 5 का योग)

पूर्णिमा योग:

सूर्य (1) विपरीत चंद्र (2) - पूर्ण द्रष्टि

180° विपरीत - पूर्ण प्रकाश

ज्योतिष में सर्वाधिक शक्तिशाली योग

ग्रह संख्या योग:

सूर्य=1, चंद्र=2, गुरु=3, राहु=4, बुध=5,

शुक्र=6, केतु=7, शनि=8, मंगल=9

1+2+3+4+5 = 15 (पहले 5 ग्रहों का योग)

 5. होरा शास्त्र

 15 आरोही/अवरोही:

- दिन-रात = 30 होरा (आधे घंटे की इकाई)

- 15 दिन का होरा = 15 शुभ, 15 अशुभ

- पूर्णिमा के 15 होरा विशेष शुभ

 15 तिथियों का फलादेश: प्रत्येक तिथि का अलग प्रभाव:

- प्रतिपदा से पूर्णिमा - वृद्धि काल (शुभ कार्य)

- प्रतिपदा से अमावस्या - ह्रास काल (तांत्रिक कार्य)

 6. पंचांग में 15 का महत्व

 तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण:

- 15 तिथि + 15 रात्रि = 30 दिवस (एक मास)

- पंचांग गणना का आधार

         शुभ संयोग:

- अमृत सिद्धि योग - विशेष 15 संयोग

- सर्वार्थ सिद्धि योग - 15 शुभ काल

 7. राशि और भाव फल:  15° का महत्व:

- प्रत्येक राशि = 30°

- 15° = मध्य बिंदु - राशि का सबसे शक्तिशाली अंश

- ग्रह 15° पर स्वाभाविक बल में

         द्रेष्काण विभाजन:

- राशि के 3 भाग = 10° प्रत्येक

- 15° = मध्य द्रेष्काण का प्रारंभ

 

 नवांश चक्र:

- 9 विभाग × 27 नक्षत्र = 243 नवांश

- 15 का गुणज - विशेष नवांश योग

 8. वर्षफल और गोचर

 15 दिन का नियम:

- ग्रह गोचर प्रभाव 15 दिन पूर्व से शुरू

- 15 दिन बाद तक रहता है

- पूर्णिमा/अमावस्या पर चरम प्रभाव

         पंद्रह पक्ष:

- शुक्ल 15 + कृष्ण 15 = संपूर्ण चंद्र चक्र

- वार्षिक भविष्यफल में 24 पक्ष (12 मास)

 9. मुहूर्त शास्त्र

 विवाह मुहूर्त:

- 15 मुहूर्त शुभ दिन-रात में

- पूर्णिमा तिथि विवाह के लिए अशुभ (परंपरागत)

- लेकिन धन लाभ, व्यापार के लिए शुभ

 गृह प्रवेश:

- शुक्ल पक्ष के 15 दिन - वृद्धि काल

- पूर्णिमा = समृद्धि शिखर

         यात्रा मुहूर्त:

- 15वीं तिथि - लंबी यात्रा के लिए मध्यम

- चंद्र बली होने से मानसिक शांति

 10. प्रश्न कुंडली

 15 का प्रश्न, समय में यदि:

- लग्न 15° - प्रश्न फलीभूत होगा

- चंद्र 15° - मन स्थिर, सही निर्णय

- 15 दिन में फल - शीघ्र परिणाम

12 भाव होते हैं, परंतु:

- प्रत्येक भाव के 15° पर ग्रह विशेष बली

- भाव मध्य - सर्वाधिक प्रभावशाली

 11. चिकित्सा ज्योतिष

 चंद्र और मन:

- 15 तिथि = चंद्र पूर्ण = मानसिक स्थिरता चरम

- औषधि सेवन - पूर्णिमा को विशेष प्रभावी

- रक्त, जल तत्व पूर्ण बल में

 शरीर चक्र:

- 15 दिन = शरीर की आधी ऋतु चक्र

- महिलाओं में 15-दिवसीय चक्र (मासिक धर्म से संबंध)

- चंद्र प्रभाव स्पष्ट

 12. कर्म सिद्धांत और पुनर्जन्म

         15 कर्म फल:

वैदिक ज्योतिष में:

- प्रारब्ध कर्म - 15 प्रकार के जीवन परिस्थितियाँ

- संचित कर्म का विभाजन

- क्रियमाण कर्म - वर्तमान 15 दिशाओं में

         जन्म नक्षत्र:

- जन्म से 15वाँ नक्षत्र - विशेष शुभ/अशुभ

- विपरीत नक्षत्र में गोचर - परीक्षा काल

 13. वास्तु ज्योतिष

 15 दिशाएँ नहीं, लेकिन:

- वास्तु पुरुष मंडल में 81 पद

- केंद्रीय ब्रह्मस्थान से 15° कोण - शुभ दिशा

- पूर्णिमा को घर प्रवेश - धन आगमन

         ग्रह दिशा प्रभाव:

- चंद्र (उत्तर-पश्चिम) - 15° विचलन शुभ

- जल स्रोत स्थापना - पूर्णिमा शुभ

 14. रत्न और उपाय शास्त्र

   मोती (चंद्र रत्न):

- 15 रत्ती या उसके गुणज में धारण

- 15 दिन धारण के बाद प्रभाव प्रारंभ

- पूर्णिमा को धारण - अधिकतम लाभ

  चंद्र उपाय:

- सोमवार व्रत - 15 सप्ताह

- चंद्र मंत्र जाप - 15 माला (1,62,000 बार)

- दूध दान - 15 सोमवार

  रुद्राक्ष:

- 15 मुखी रुद्राक्ष (अत्यंत दुर्लभ) - पूर्ण चंद्र शक्ति

- सभी 15 कलाओं का प्रतीक

  15. अंक और राशि तालमेल

                       15 = 1+5 = 6 (शुक्र):

शुक्र राशियाँ:

- वृषभ (2) - पृथ्वी, स्थिरता

- तुला (7) - वायु, संतुलन

- योग 2+7 = 9 (मंगल)

शुक्र-चंद्र योग (15 का सार):

- कला, सौंदर्य (शुक्र)

- भावना, मन (चंद्र)

- पूर्ण अभिव्यक्ति (15)

  जन्म तिथि 15, 24 वाले व्यक्ति:

गुण:

- कलात्मक, संवेदनशील

- आकर्षक व्यक्तित्व

- भावुक परंतु संतुलित

- धन और सौंदर्य प्रेमी

व्यवसाय:

- कला, संगीत, डिजाइन

- आतिथ्य, सौंदर्य उद्योग

- फैशन, रत्न व्यापार

स्वास्थ्य:

- चंद्र प्रभाव - मानसिक स्वास्थ्य ध्यान

- शुक्र प्रभाव - गुर्दे, प्रजनन तंत्र

 16. युगांतर और महादशा

  चंद्र वंश:

- 15 पीढ़ी का विशेष महत्व

- कुंडली में 15वीं पीढ़ी - कर्म शुद्धि

  कलयुग गणना:

- 15 का चक्र - छोटे युग परिवर्तन

- सामाजिक बदलाव की लहरें

 

 17. विशेष योग फलादेश

  पूर्णिमा जन्म:

शुभ फल:

- पूर्ण चंद्र बल - मजबूत मन

- सामाजिक लोकप्रियता

- भावनात्मक परिपक्वता

- मातृ सुख

चुनौतियाँ:

- अति भावुकता

- चंद्र ग्रहण योग (यदि सूर्य विपरीत)

- मानसिक उतार-चढ़ाव

 अमावस्या जन्म:

- चंद्र बलहीन

- आध्यात्मिक झुकाव

- गुप्त ज्ञान की खोज

 18. मासिक चक्र विश्लेषण

 तिथि अनुसार कार्य:

शुक्ल पक्ष (1-15):

- नया प्रारंभ - व्यापार, शिक्षा

- निर्माण कार्य - भवन, योजना

- संबंध निर्माण - विवाह, मित्रता

- धन संचय - निवेश

कृष्ण पक्ष (1-15):

- समाप्ति कार्य - ऋण चुकाना

- त्याग - बुरी आदतें छोड़ना

- तांत्रिक साधना - शक्ति उपासना

- आत्म चिंतन - ध्यान, योग

 19. प्रमुख पर्व और पूर्णिमा

 15 प्रमुख पूर्णिमाएँ:

1. चैत्र - होली के बाद

2. वैशाख - बुद्ध पूर्णिमा

3. ज्येष्ठ - वट पूर्णिमा

4. आषाढ़ - गुरु पूर्णिमा

5. श्रावण - रक्षा बंधन

6. भाद्रपद - पितृ पक्ष प्रारंभ

7. आश्विन - शरद पूर्णिमा

8. कार्तिक - कार्तिक पूर्णिमा

9. मार्गशीर्ष - देव दिवाली

10. पौष - शाकंभरी पूर्णिमा

11. माघ - माघ पूर्णिमा

12. फाल्गुन - होलिका दहन

(अधिक मास में 13वीं पूर्णिमा)

विशेष शक्तिशाली: गुरु, शरद, कार्तिक पूर्णिमा

 20. 15 यंत्र का ज्योतिषीय प्रयोग

 राशि अनुसार स्थान:

 

4

 

9

2

 

3

 

5

7

 

8

 

 

1

 

 

6

 

राशि मैपिंग:

केंद्र (5) - स्वयं की राशि

ऊपर (9) - भाग्य स्थान (9वाँ भाव)

नीचे (1) - लग्न (1ला भाव)

दायाँ (7) - जीवनसाथी (7वाँ भाव)

बायाँ (3) - भाई-बहन (3रा भाव)

ग्रह स्थापना:

अपनी राशि संख्या केंद्र में

लाभकारी ग्रह शुभ स्थान पर

अशुभ ग्रह दूर रखें (मानसिक रूप से)

दोष निवारण:

राहु-केतु दोष (4-7)

शनि दोष (8)

मंगल दोष (9)

सभी योगों में 15 संतुलन रखता है।

केंद्र (5) - स्वयं की राशि

ऊपर (9) - भाग्य स्थान (9वाँ भाव)

नीचे (1) - लग्न (1ला भाव)

दायाँ (7) - जीवनसाथी (7वाँ भाव)

बायाँ (3) - भाई-बहन (3रा भाव)

ग्रह स्थापना:

अपनी राशि संख्या केंद्र में

लाभकारी ग्रह शुभ स्थान पर

अशुभ ग्रह दूर रखें (मानसिक रूप से)

दोष निवारण:

राहु-केतु दोष (4-7)

शनि दोष (8)

मंगल दोष (9)

सभी योगों में 15 का संतुलन रखता है।

निष्कर्ष: ज्योतिष में 15 चंद्र पूर्णता, भावनात्मक संतुलन और भौतिक-आध्यात्मिक समृद्धि का प्रतीक है।

तंत्र शास्त्र में 15 यंत्र

यंत्र क्या है?

यंत्र एक पवित्र ज्यामितीय आकृति है जो देवी-देवताओं की दैवीय ऊर्जा का प्रतीक है। इसका उपयोग ध्यान, पूजा और आध्यात्मिक साधना में होता है।

15 महत्वपूर्ण यंत्र:

श्री यंत्र - सबसे शक्तिशाली, देवी लक्ष्मी का प्रतीक, समृद्धि के लिए

गणेश यंत्र - विघ्न नाश, नई शुरुआत के लिए

महामृत्युंजय यंत्र - शिव का यंत्र, स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए

कुबेर यंत्र - धन और संपत्ति वृद्धि के लिए

दुर्गा यंत्र - शक्ति और सुरक्षा के लिए

हनुमान यंत्र - साहस और शत्रु नाश के लिए

सरस्वती यंत्र - विद्या और ज्ञान के लिए

बगलामुखी यंत्र - शत्रुओं पर विजय के लिए

नवग्रह यंत्र - ग्रहों की शांति के लिए

कालसर्प यंत्र - कालसर्प दोष निवारण के लिए

मुख्य लाभ:

मानसिक शांति और एकाग्रता

आध्यात्मिक उन्नति

विशेष समस्याओं का समाधान

सकारात्मक ऊर्जा का संचार

उपयोग: तांबे/सोने/चांदी पर बने यंत्र को मंत्र जाप के साथ स्थापित करके पूजा की जाती है।

प्राचीन सभ्यताओं में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य:

विश्वव्यापी उपस्थिति: भारत:

5000+ वर्ष पुराना ज्ञान

गणित और आध्यात्मिकता का संगम

वैदिक और तांत्रिक परंपराओं में

चीन (Lo Shu Square):

 

2800 इसा पूर्व पुराना ज्ञान

यांग्त्से नदी से से प्रकट हुआ कछुआ जिसकी पीठ पर 3×3 पैटर्न था जो कि,फेंग शुई का आधार है.

अरब:

वक्फ के नाम से प्रसिद्ध

ज्योतिष और जादू में उपयोग

इस्लामिक कला में समाहित

यूरोप:

Albrecht Dürer की पेंटिंग (1514)

"Melencolia I" में 4×4 Magic Square

Renaissance में लोकप्रिय

New Age Movement में लोकप्रिय

Quantum Mysticism से जोड़ा गया

सार्वभौमिक सत्य: विभिन्न सभ्यताओं ने स्वतंत्र रूप से इसे खोजा - यह मानव चेतना की सार्वभौमिक भाषा है। इस प्रकार हमें इस जादुई अंक 15 का संक्षिप्त वर्णन प्राप्त होता है.

ॐ शांन्ति शांन्ति शांन्ति

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