भारतीय अंक शास्त्र में 15 का महत्व
आध्यात्मिक महत्व:
· पूर्णिमा की तिथि - चंद्र पक्ष की 15वीं तिथि, पूर्णता का प्रतीक
· पंचदेवता × 3
काल - 5 देवताओं (ब्रह्मा, विष्णु,
शिव, गणेश, सूर्य) का
त्रिकालीन (भूत-वर्तमान-भविष्य) संयोग
· 15 नित्यास - श्री विद्या परंपरा में देवी के 15 स्वरूप
ज्योतिषीय महत्व:
· चंद्र कला - 15
दिन में चंद्रमा पूर्ण होता है (शुक्ल पक्ष)
· 15 = 1+5 = 6 - शुक्र ग्रह का अंक, सौंदर्य
और समृद्धि
· तिथि गणना - प्रत्येक पक्ष में 15 तिथियाँ
गणितीय विशेषता:
· त्रिभुज संख्या - 1+2+3+4+5 = 15
· 3×5 = 15 - त्रिदेव × पंचतत्व
· जादुई वर्ग - 3×3 ग्रिड का स्थिर योग
तांत्रिक दृष्टि:
· संतुलन का अंक - विषम परंतु संपूर्ण
· चंद्र ऊर्जा - शीतलता, शांति और मानसिक स्थिरता
· 15 अक्षर मंत्र - कई शक्तिशाली मंत्रों में 15 अक्षर
व्यावहारिक उपयोग:
समृद्धि, मानसिक शांति और चंद्र दोष निवारण के लिए अत्यंत शुभ माना
जाता है। पंद्रह यंत्र क्या है? यह एक 3×3 का संख्यात्मक यंत्र है जहाँ 1 से 9 तक की संख्याएँ इस प्रकार व्यवस्थित होती हैं कि हर पंक्ति, स्तंभ और विकर्ण का योग 15 होता है।
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4 |
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महत्वपूर्ण
विशेषताएँ:
· केंद्र में 5 - संतुलन और स्थिरता का प्रतीक
· सभी दिशाओं का योग 15 - पूर्णता का प्रतीक
· 9 संख्याओं का समन्वय - नवग्रहों से संबंध
तांत्रिक प्रयोग:
· वास्तु दोष निवारण.
· ग्रह शांति.
· सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह.
· मानसिक संतुलन और समृद्धि.
प्रयोग विधि:
· तांबे की प्लेट पर लाल स्याही से लिखें.
· शुक्रवार को स्थापित करें.
· घर/दुकान के मुख्य स्थान पर रखें.
पंद्रह यंत्र का
तांत्रिक दृष्टिकोण (विस्तृत)
1. चंद्र तत्व का प्रतीक
- पूर्णिमा
की ऊर्जा - 15 पूर्णता का प्रतीक, जैसे
पूर्णिमा पूर्ण चंद्रमा
- सोम
तत्व - मन, भावना और अमृत तत्व
का नियंत्रण
- मातृ
शक्ति - चंद्र को माता का प्रतीक माना जाता है, पोषण और करुणा
2. पंचदश तिथि का रहस्य
- कला
पूर्णता - चंद्रमा की 16 कलाओं में
से 15 प्रकट होती हैं
- 16वीं कला गुप्त - अमृत कला जो साधना
से प्राप्त होती है
- तिथि
देवता - हर तिथि का अपना देवता, 15वीं सर्वोच्च
3. पंचदश अक्षर मंत्र
कई महाविद्याओं के मंत्र 15 अक्षरों के होते हैं:
- काली
पंचदशाक्षरी - "ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौः ॐ..."
- त्रिपुरसुंदरी
मंत्र - 15 बीजाक्षरों का संयोजन
- पूर्णता
की साधना - 15 अक्षर से पूर्ण सिद्धि
4. यंत्र संरचना का तात्विक अर्थ
4
9 2 (योग=15)
3 5 7
(योग=15)
8
1 6 (योग=15)
संख्याओं का गूढ़ अर्थ:
केंद्र में 5:
- पंचतत्व का केंद्र - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश
- संतुलन बिंदु - सभी दिशाओं का समन्वय
- आत्म स्थान - साधक का आत्म बिंदु
विषम संख्याएँ (1,3,5,7,9):
- शिव तत्व - पुरुष ऊर्जा, क्रियाशील शक्ति
- तेज तत्व - आग्नेय ऊर्जा
सम संख्याएँ (2,4,6,8):
- शक्ति तत्व - स्त्री ऊर्जा, ग्रहणशील शक्ति
- सोम तत्व - जल और चंद्र ऊर्जा
5. नवग्रह
संबंध
प्रत्येक संख्या एक ग्रह से जुड़ी:
- 1 (सूर्य) - आत्मा
- 2 (चंद्र) - मन
- 3 (गुरु) - ज्ञान
- 4 (राहु) - माया
- 5 (बुध) - बुद्धि
- 6 (शुक्र) - सुख
- 7 (केतु) - मोक्ष
- 8 (शनि) - कर्म
- 9 (मंगल) - शक्ति
योग 15 = 1+5 = 6 (शुक्र) - समृद्धि और सौंदर्य
6. दिशाओं का
तांत्रिक महत्व
ऊर्ध्व पंक्ति (4-9-2): आकाश तत्व - उच्च
चेतना
मध्य पंक्ति (3-5-7): मनुष्य तत्व - जीवन
केंद्र
निम्न पंक्ति (8-1-6): पृथ्वी तत्व -
भौतिक आधार
विकर्ण:
- 4-5-6 - सृष्टि क्रम
- 2-5-8 - संहार क्रम
- केंद्र 5 सभी का नियंत्रक
7. 15 नित्य
देवियाँ (श्री विद्या)
तंत्र में 15 नित्या देवियाँ हैं:
1. काली
2. तारा
3. षोडशी (त्रिपुरसुंदरी)
4. भुवनेश्वरी
5. भैरवी
6. छिन्नमस्ता
7. धूमावती
8. बगलामुखी
9. मातंगी
10. कमला
11-15. अन्य नित्या शक्तियाँ
प्रत्येक देवी एक तिथि की स्वामिनी - शुक्ल पक्ष की 15 तिथियों में
8. साधना विधि
(तांत्रिक प्रयोग)
यंत्र निर्माण:
- धातु: तांबा (चंद्र धातु) या चांदी
- दिन: पूर्णिमा या शुक्रवार
- नक्षत्र: रोहिणी (चंद्र की प्रिय नक्षत्र)
- स्याही: लाल सिंदूर + केसर + दूध
स्थापना मंत्र:
ॐ सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ
साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु
ते॥
पूजा विधि:
सोमवार या शुक्रवार को स्थापना
सफेद वस्त्र धारण करें
दूध, दही, घी, शहद, शक्कर से अभिषेक
सफेद फूल (कमल, गुलाब)
चंद्र मंत्र जाप: "ॐ सों सोमाय नमः" (108 बार)
9. तांत्रिक लाभ
मानसिक स्तर:
चंचल मन की शांति - चंद्र नियंत्रण
भावनात्मक संतुलन
अनिद्रा का निवारण
स्मरण शक्ति वृद्धि
आध्यात्मिक स्तर:
कुंडलिनी जागरण में सहायक
सोमचक्र (आज्ञा चक्र) की सिद्धि
अमृत कला की प्राप्ति
मातृ शक्ति का आशीर्वाद
भौतिक स्तर:
धन समृद्धि - शुक्र तत्व से
स्त्री सुख - शुक्र का अंक 6
वास्तु दोष निवारण
नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा
10. गुप्त तांत्रिक रहस्य
त्रिकोण का रहस्य:
यंत्र में छिपे त्रिकोण:
ऊर्ध्व त्रिकोण (शिव) - 2,5,8
अधोमुख त्रिकोण (शक्ति) - 4,5,6
केंद्र बिंदु - शिव-शक्ति का मिलन
15 का बीज मंत्र:
"ह्रीं" - माया बीज, प्रत्येक अक्षर में 15 की ऊर्जा (चक्र संबंध:)
15 × 16
= 240 (सहस्रार की उप-नाड़ियाँ)
प्रत्येक चक्र में 15
ऊर्जा बिंदु
11. समय और काल
तिथि गणना: 15 दिन = एक पक्ष
मुहूर्त: प्रतिदिन 30
मुहूर्त में से 15 शुभ
घड़ी: 15 घड़ी = विशेष साधना समय
12. सावधानियाँ
गलत स्थापना से हानि - अनुभवी गुरु से सीखें
नियमित पूजा आवश्यक - अन्यथा विपरीत प्रभाव
श्रद्धा और विश्वास - बिना भक्ति के केवल गणित है
ज्योतिष शास्त्र में पंद्रह (15) का दृष्टिकोण
1. तिथि विज्ञान
§ पूर्णिमा - सर्वोच्च तिथि:
§ शुक्ल पक्ष की 15वीं तिथि = पूर्णिमा
§ कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि = अमावस्या
§ दोनों संधि काल - अत्यधिक शक्तिशाली समय
तिथि बल:
प्रत्येक पक्ष में 15 तिथियाँ - चंद्र कलाओं का विकास
पूर्णिमा पर चंद्रमा पूर्ण बली (15/15 कलाएँ प्रकट)
अमावस्या पर चंद्रमा शून्य बली (15 कलाएँ छिपी)
2. चंद्रमा का अंक शास्त्र
चंद्र अंक = 2
15 = 1+5 = 6 (शुक्र का
अंक)
2 × 6 = 12 (राशियाँ)
15 का चंद्र संबंध -
पूर्णिमा से
मूलांक और भाग्यांक:
जिन व्यक्तियों का:
जन्म तिथि 15, 24 (2+4=6) - शुक्र
प्रभावित
जन्म मास 6 (जून) - शुक्र प्रबल
चंद्र + शुक्र योग - कला, सौंदर्य, समृद्धि
3. नक्षत्र व्यवस्था
15 घटिका:
एक नक्षत्र = 13°20'
27 नक्षत्र × 13.33° = 360°
15 घटिका = एक विशेष
मुहूर्त खंड
आधे नक्षत्र:
पूर्ण नक्षत्र चक्र = 30 दिन (चंद्र परिक्रमा)
15 दिन = आधा चक्र = पक्ष
पूर्णता
अभिजीत नक्षत्र:
28वाँ गुप्त नक्षत्र
मध्याह्न के 15 मिनट - सर्वोत्तम मुहूर्त
4. ग्रह योग और दशा
चंद्र दशा:
चंद्र महादशा = 10 वर्ष
चंद्र अंतर्दशा विभिन्न ग्रहों में
15 = 10+5 (चंद्र 10
+ बुध 5 का योग)
पूर्णिमा योग:
सूर्य (1) विपरीत चंद्र (2) - पूर्ण द्रष्टि
180° विपरीत - पूर्ण प्रकाश
ज्योतिष में सर्वाधिक शक्तिशाली योग
ग्रह संख्या योग:
सूर्य=1, चंद्र=2, गुरु=3, राहु=4,
बुध=5,
शुक्र=6, केतु=7, शनि=8, मंगल=9
1+2+3+4+5 = 15 (पहले 5 ग्रहों का योग)
5. होरा
शास्त्र
15 आरोही/अवरोही:
- दिन-रात = 30 होरा (आधे घंटे की इकाई)
- 15 दिन का होरा = 15 शुभ, 15 अशुभ
- पूर्णिमा के 15 होरा विशेष शुभ
15 तिथियों का फलादेश: प्रत्येक तिथि का अलग
प्रभाव:
- प्रतिपदा से पूर्णिमा - वृद्धि काल (शुभ कार्य)
- प्रतिपदा से अमावस्या - ह्रास काल (तांत्रिक कार्य)
6. पंचांग में 15 का महत्व
तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण:
- 15 तिथि + 15 रात्रि = 30 दिवस (एक मास)
- पंचांग गणना का आधार
शुभ संयोग:
- अमृत सिद्धि योग - विशेष 15 संयोग
- सर्वार्थ सिद्धि योग - 15 शुभ काल
7. राशि और भाव
फल: 15° का महत्व:
- प्रत्येक राशि = 30°
- 15° = मध्य बिंदु - राशि का सबसे शक्तिशाली अंश
- ग्रह 15° पर स्वाभाविक बल में
द्रेष्काण विभाजन:
- राशि के 3 भाग = 10°
प्रत्येक
- 15° = मध्य द्रेष्काण का प्रारंभ
नवांश चक्र:
- 9 विभाग × 27 नक्षत्र = 243 नवांश
- 15 का गुणज - विशेष नवांश
योग
8. वर्षफल और
गोचर
15 दिन का नियम:
- ग्रह गोचर प्रभाव 15 दिन पूर्व से शुरू
- 15 दिन बाद तक रहता है
- पूर्णिमा/अमावस्या पर चरम
प्रभाव
पंद्रह पक्ष:
- शुक्ल 15 + कृष्ण 15 = संपूर्ण चंद्र चक्र
- वार्षिक भविष्यफल में 24 पक्ष (12 मास)
9. मुहूर्त
शास्त्र
विवाह मुहूर्त:
- 15 मुहूर्त शुभ दिन-रात
में
- पूर्णिमा तिथि विवाह के
लिए अशुभ (परंपरागत)
- लेकिन धन लाभ, व्यापार के लिए शुभ
गृह प्रवेश:
- शुक्ल पक्ष के 15 दिन - वृद्धि काल
- पूर्णिमा = समृद्धि शिखर
यात्रा मुहूर्त:
- 15वीं तिथि - लंबी यात्रा
के लिए मध्यम
- चंद्र बली होने से मानसिक
शांति
10. प्रश्न
कुंडली
15 का प्रश्न, समय में यदि:
- लग्न 15° - प्रश्न फलीभूत होगा
- चंद्र 15° - मन स्थिर, सही निर्णय
- 15 दिन में फल - शीघ्र
परिणाम
12 भाव होते हैं, परंतु:
- प्रत्येक भाव के 15° पर ग्रह विशेष बली
- भाव मध्य - सर्वाधिक
प्रभावशाली
11. चिकित्सा
ज्योतिष
चंद्र और मन:
- 15 तिथि = चंद्र पूर्ण =
मानसिक स्थिरता चरम
- औषधि सेवन - पूर्णिमा को
विशेष प्रभावी
- रक्त, जल तत्व पूर्ण बल में
शरीर चक्र:
- 15 दिन = शरीर की आधी ऋतु
चक्र
- महिलाओं में 15-दिवसीय चक्र (मासिक धर्म से संबंध)
- चंद्र प्रभाव स्पष्ट
12. कर्म
सिद्धांत और पुनर्जन्म
15 कर्म फल:
वैदिक ज्योतिष में:
- प्रारब्ध कर्म - 15 प्रकार के जीवन परिस्थितियाँ
- संचित कर्म का विभाजन
- क्रियमाण कर्म - वर्तमान 15 दिशाओं में
जन्म नक्षत्र:
- जन्म से 15वाँ नक्षत्र - विशेष शुभ/अशुभ
- विपरीत नक्षत्र में गोचर
- परीक्षा काल
13. वास्तु ज्योतिष
15 दिशाएँ नहीं, लेकिन:
- वास्तु पुरुष मंडल में 81 पद
- केंद्रीय ब्रह्मस्थान से 15° कोण - शुभ दिशा
- पूर्णिमा को घर प्रवेश -
धन आगमन
ग्रह दिशा प्रभाव:
- चंद्र (उत्तर-पश्चिम) - 15° विचलन शुभ
- जल स्रोत स्थापना -
पूर्णिमा शुभ
14. रत्न और
उपाय शास्त्र
मोती (चंद्र रत्न):
- 15 रत्ती या उसके गुणज
में धारण
- 15 दिन धारण के बाद
प्रभाव प्रारंभ
- पूर्णिमा को धारण -
अधिकतम लाभ
चंद्र उपाय:
- सोमवार व्रत - 15 सप्ताह
- चंद्र मंत्र जाप - 15 माला (1,62,000 बार)
- दूध दान - 15 सोमवार
रुद्राक्ष:
- 15 मुखी रुद्राक्ष
(अत्यंत दुर्लभ) - पूर्ण चंद्र शक्ति
- सभी 15 कलाओं का प्रतीक
15. अंक और राशि तालमेल
15
= 1+5 = 6 (शुक्र):
शुक्र राशियाँ:
- वृषभ (2) - पृथ्वी, स्थिरता
- तुला (7) - वायु, संतुलन
- योग 2+7 = 9 (मंगल)
शुक्र-चंद्र योग (15 का
सार):
- कला, सौंदर्य (शुक्र)
- भावना, मन (चंद्र)
- पूर्ण अभिव्यक्ति (15)
जन्म तिथि 15, 24 वाले व्यक्ति:
गुण:
- कलात्मक, संवेदनशील
- आकर्षक व्यक्तित्व
- भावुक परंतु संतुलित
- धन और सौंदर्य प्रेमी
व्यवसाय:
- कला, संगीत, डिजाइन
- आतिथ्य, सौंदर्य उद्योग
- फैशन, रत्न व्यापार
स्वास्थ्य:
- चंद्र प्रभाव - मानसिक
स्वास्थ्य ध्यान
- शुक्र प्रभाव - गुर्दे,
प्रजनन तंत्र
16. युगांतर और महादशा
चंद्र वंश:
- 15 पीढ़ी का विशेष महत्व
- कुंडली में 15वीं पीढ़ी - कर्म शुद्धि
कलयुग गणना:
- 15 का चक्र - छोटे युग
परिवर्तन
- सामाजिक बदलाव की लहरें
17. विशेष योग
फलादेश
पूर्णिमा जन्म:
शुभ फल:
- पूर्ण चंद्र बल - मजबूत
मन
- सामाजिक लोकप्रियता
- भावनात्मक परिपक्वता
- मातृ सुख
चुनौतियाँ:
- अति भावुकता
- चंद्र ग्रहण योग (यदि
सूर्य विपरीत)
- मानसिक उतार-चढ़ाव
अमावस्या जन्म:
- चंद्र बलहीन
- आध्यात्मिक झुकाव
- गुप्त ज्ञान की खोज
18. मासिक चक्र
विश्लेषण
तिथि अनुसार कार्य:
शुक्ल पक्ष (1-15):
- नया प्रारंभ - व्यापार,
शिक्षा
- निर्माण कार्य - भवन,
योजना
- संबंध निर्माण - विवाह,
मित्रता
- धन संचय - निवेश
कृष्ण पक्ष (1-15):
- समाप्ति कार्य - ऋण
चुकाना
- त्याग - बुरी आदतें
छोड़ना
- तांत्रिक साधना - शक्ति
उपासना
- आत्म चिंतन - ध्यान,
योग
19. प्रमुख
पर्व और पूर्णिमा
15 प्रमुख पूर्णिमाएँ:
1. चैत्र - होली के बाद
2. वैशाख - बुद्ध पूर्णिमा
3. ज्येष्ठ - वट पूर्णिमा
4. आषाढ़ - गुरु पूर्णिमा
5. श्रावण - रक्षा बंधन
6. भाद्रपद - पितृ पक्ष
प्रारंभ
7. आश्विन - शरद पूर्णिमा
8. कार्तिक - कार्तिक
पूर्णिमा
9. मार्गशीर्ष - देव दिवाली
10. पौष - शाकंभरी पूर्णिमा
11. माघ - माघ पूर्णिमा
12. फाल्गुन - होलिका दहन
(अधिक मास में 13वीं पूर्णिमा)
विशेष शक्तिशाली: गुरु, शरद, कार्तिक पूर्णिमा
20. 15 यंत्र
का ज्योतिषीय प्रयोग
राशि अनुसार स्थान:
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4 |
9 |
2 |
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3 |
5 |
7 |
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8 |
1 |
6 |
राशि मैपिंग:
केंद्र (5) - स्वयं की राशि
ऊपर (9) - भाग्य स्थान (9वाँ भाव)
नीचे (1) - लग्न (1ला भाव)
दायाँ (7) - जीवनसाथी (7वाँ भाव)
बायाँ (3) - भाई-बहन (3रा भाव)
ग्रह स्थापना:
अपनी राशि संख्या केंद्र में
लाभकारी ग्रह शुभ स्थान पर
अशुभ ग्रह दूर रखें (मानसिक रूप से)
दोष निवारण:
राहु-केतु दोष (4-7)
शनि दोष (8)
मंगल दोष (9)
सभी योगों में 15 संतुलन रखता है।
केंद्र (5) - स्वयं की राशि
ऊपर (9) - भाग्य स्थान (9वाँ भाव)
नीचे (1) - लग्न (1ला भाव)
दायाँ (7) - जीवनसाथी (7वाँ भाव)
बायाँ (3) - भाई-बहन (3रा भाव)
ग्रह स्थापना:
अपनी राशि संख्या केंद्र में
लाभकारी ग्रह शुभ स्थान पर
अशुभ ग्रह दूर रखें (मानसिक रूप से)
दोष निवारण:
राहु-केतु दोष (4-7)
शनि दोष (8)
मंगल दोष (9)
सभी योगों में 15 का संतुलन रखता है।
निष्कर्ष: ज्योतिष में 15 चंद्र पूर्णता, भावनात्मक
संतुलन और भौतिक-आध्यात्मिक समृद्धि का प्रतीक है।
तंत्र शास्त्र में 15 यंत्र
यंत्र
क्या है?
यंत्र
एक पवित्र ज्यामितीय आकृति है जो देवी-देवताओं की दैवीय ऊर्जा का प्रतीक है। इसका
उपयोग ध्यान, पूजा और आध्यात्मिक साधना में होता है।
15 महत्वपूर्ण यंत्र:
श्री यंत्र - सबसे शक्तिशाली, देवी लक्ष्मी
का प्रतीक, समृद्धि के लिए
गणेश यंत्र - विघ्न नाश, नई शुरुआत के
लिए
महामृत्युंजय यंत्र - शिव का यंत्र, स्वास्थ्य और
दीर्घायु के लिए
कुबेर यंत्र - धन और संपत्ति वृद्धि
के लिए
दुर्गा यंत्र - शक्ति और सुरक्षा के
लिए
हनुमान यंत्र - साहस और शत्रु नाश के
लिए
सरस्वती यंत्र - विद्या और ज्ञान के
लिए
बगलामुखी यंत्र - शत्रुओं पर विजय के
लिए
नवग्रह यंत्र - ग्रहों की शांति के
लिए
कालसर्प यंत्र - कालसर्प दोष निवारण
के लिए
मुख्य
लाभ:
मानसिक शांति और एकाग्रता
आध्यात्मिक उन्नति
विशेष समस्याओं का समाधान
सकारात्मक ऊर्जा का संचार
उपयोग: तांबे/सोने/चांदी पर बने
यंत्र को मंत्र जाप के साथ स्थापित करके पूजा की जाती है।
प्राचीन सभ्यताओं में ऐतिहासिक और
सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य:
विश्वव्यापी
उपस्थिति: भारत:
5000+ वर्ष
पुराना ज्ञान
गणित और आध्यात्मिकता का संगम
वैदिक और तांत्रिक परंपराओं में
चीन
(Lo Shu Square):
2800 इसा पूर्व पुराना ज्ञान
यांग्त्से
नदी से से प्रकट हुआ
कछुआ जिसकी पीठ पर 3×3 पैटर्न था जो कि,फेंग शुई का आधार है.
अरब:
वक्फ के नाम से प्रसिद्ध
ज्योतिष और जादू में उपयोग
इस्लामिक कला में समाहित
यूरोप:
Albrecht
Dürer की पेंटिंग (1514)
"Melencolia
I" में 4×4 Magic Square
Renaissance में लोकप्रिय
New
Age Movement में लोकप्रिय
Quantum
Mysticism से जोड़ा गया
सार्वभौमिक
सत्य: विभिन्न सभ्यताओं ने स्वतंत्र रूप से इसे खोजा - यह मानव चेतना की
सार्वभौमिक भाषा है। इस प्रकार हमें इस जादुई अंक 15 का संक्षिप्त वर्णन प्राप्त
होता है.
ॐ शांन्ति शांन्ति शांन्ति
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